भारत और अमेरिका के बिच मजबूत रिश्ते क्यों होने चाहिये ?

कोरोना काल के बाद से ही विश्व अब भारत की तरफ देख रहा है, दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी अब चीन छोड़ भारत आना चाहती है, जिसमे अमेरिका की भी कंपनी है, जब व्यापारिक रिश्ते बढ़ेंगे तोह दोस्ती वाले रिश्ते भी अमेरिका के साथ मजबूत होने चाहिए ..


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल की तरफ से आयोजित इंडिया आइडियाज़ समिट को संबोधित किया, जहां उन्होंने अमेरिकी निवेशकों को भारत में रक्षा, बीमा, कृषि, वित्त, चिकित्सा, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए पुरजोर तरीके से आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, " अब वक्त आ गया है कि हमारे दोनों मुल्क साझेदार बन कर दुनिया को महामारी के बाद तेजी से उबरने में अहम भूमिका निभाएं ।"

मोदी ने कहा, “भारत में आपको मिलेगा - खुलापन, अवसर और विकल्पों का एक सही मिश्रण। अगर मैं विस्तार से कहूं, तो भारत  की जनता खुलेपन में जीती है और यहां के शासन में भी आपको खुलापन मिलेगा। सोच में अगर खुलापन है, तो बाज़ार में भी खुलापन रहेगा.. यह ऐसा सिद्धांत हैं जिस पर भारत और अमेरिका दोनों समान विचार रखते हैं।”

यह शिखर सम्मेलन ऐसे मौके पर हुआ जब भारत और अमेरिका के बीच 2 साल से लंबित विवादों को खत्म कर एक नई प्रिफरेन्शियल ट्रेड डील पर काम कर रहे हैं। इस ट्रेड डील को भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका के वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस से एक फोन कॉल पर सुलझा लिया था। दोनों देश एक फ्री ट्रेड एग्रीमैंट पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद ही हो सकता है।

अंडमान सागर में अपना नौसैनिक विमानवाहक पोत भेजकर, अमेरिका ने चीन को यह संदेश दिया है कि, चीन के दुस्साहस को अब ज्यादा सहन नहीं किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा चीन के 59 ऐप्स पर लगाये गए प्रतिबंध का भी अमेरिकी विदेश मंत्री ने स्वागत किया।

अमेरिकी एजेंडा साफ है - वह चीन को उसकी हांगकांग, दक्षिण चीन सागर और लद्दाख में आक्रामक नीतियों के लिए सबक सिखाना चाहता है। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत इस मामले में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच पहले से ही प्रगाढ़ व्यक्तिगत संबंध हैं। मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान, ट्रम्प ने भारतीय पीएम के साथ एक लंबी अनौपचारिक चर्चा की थी। फरवरी में जब ट्रम्प भारत आए थे, तो अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प की रैली में लाखों लोगों की भीड़ पहुंची थी। ट्रम्प को मोदी की कार्यशैली पसंद है, और वह कभी-भी यह बताना नहीं भूलते कि भारत में उनके स्वागत के लिए लाखों लोग इकट्ठा हुए थे।

अमेरिका का यह दृढ़ मत है कि चीन ने जानबूझकर खतरनाक कोरोना वायरस को दुनिया भर में फैलने दिया, जिससे लाखों लोग मारे गए। वहीं भारत, अपनी ओर से, दुनिया को एक प्रभावी कोरोना वैक्सीन देने का प्रयास कर रहा है।

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